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क्या भारत में फिर से हुए नोटबंदी जैसे माहौल



क्या भारत में फिर से हुए नोटबंदी जैसे माहौल ATM में cash की कमी से जूझ रहे 10 राज्य क्या फिर नोटबंदी का अंदेशा दे रहे हैं क्या हमारे वित्त मंत्री को खुलकर ध्यान नहीं देना चाहिए कि यह cash कमी किस प्रकार से आई हुई है ATM में लोगों को 9 नवंबर 2017 के जैसे फिर से हालात  सामना करना पढ़ रहा है लोगों की भीड़ ATM के सामने भारी मात्रा में दिखाई पड़ रही है लोग नोटबंदी के समय जिस प्रकार से लाइन पर लगे हुए थे उसी प्रकार से आज भी लग रहे हैं ATM में cash की कमी के कारण शादी फंक्शन आदि में हो रही लेनदेन के लिए लोगों को दिक्कत हो रही है जिसकी वजह से लोग हताहत हो रहे हैं हमारे प्रधानमंत्री दूसरे देशों का दौरा करने में व्यस्त हैं उनका इस मामले में कोई बयान अभी तक नहीं आया हुआ है आरबीआई गवर्नर और  अन्य नेताओं के बयानों में अंतर देखा जा सकता है यहां या कोई बताने के लिए तैयार नहीं है कि इस परिस्थिति से कैसे निजात मिलेगी कैसे कैसे निजात मिलेगी क्या यह हमारे वित्त मंत्री का दायित्व नहीं बनता है कि वह इस मुद्दे पर खुलकर जनता को अपनी राय प्रकट करें क्या हम आज उस भारत में रह रहे हैं जहां पर राजनीतिक दल लोगों को बरगलाने में कामयाब रहे क्या यही और इसी तरीके से हमारा देश विश्व गुरु बनेगा क्या हमें अपने इकनोमिक कंडीशन पर और देश की स्थिति पर ध्यान नहीं देना चाहिए क्या हम अपने देशवासी होने पर गर्व कर सकते हैं क्या हम उस इंसान की बातों पर ध्यान दे सकते हैं जो हमें 2014 से पहले ग्रेट इंडिया की राह दिखाने पर अपने वक्तव्य से पीछे नहीं हटता था  क्या हमें अपने पैसे पर अपना ? अधिकार नहीं होना चाहिए क्या यही हमारी फ्रीडम ऑफ स्पीच कहती है क्या यही हमारे व्यक्तित्व का समाधान है क्या हम इसी तरीके से किसी भी पार्टी को चुनाव में जताते रहेंगे जो हमें दोगली बातें करते हुए दोगले विजन पर तैनात करता रहेगा क्या यही वह लोग हैं जो नेहरू और गांधी पर फब्तियां कसते हैं और उन्हें नीचा दिखाते हुए नहीं थकते हैं क्या यह विचार नहीं खत्म होना चाहिए कि हमें जो पहले हुआ उससे आगे बढ़कर देखना चाहिए क्या यह जरूरी है कि हम पुरानी बातों का आलोचना करते रहे क्या हमें अपने वर्तमान के बारे में नहीं सोचना चाहिए क्या हम अपने वर्तमान के सपनों को इसी तरीके से लोगों की दोगली बातों पर वोट करते रहेंगे यह समय आ गया है कि हम बदले और समाज को बदलें जम्मू कश्मीर और कछुआ जैसे कांडों पर हमारे प्रधानमंत्री के साइलेंट होने को हम क्या कहें हमारे प्रधानमंत्री पूर्व प्रधानमंत्री को मनमोहन सिंह को साइलेंट प्राइम मिनिस्टर कहते हुए नहीं थकते थे आज क्या हुआ आज वह क्या सन्नाटे में नहीं है आज क्या उन्हें बयान बाजी देने की जरूरत नहीं है क्या उन्हें लोगों के सामने सही तरीके से अपनी बातों को स्पष्ट नहीं करना चाहिए क्या उन्हें जम्मू कश्मीर और कठुआ जैसे रेप कांड आलोचना नहीं करनी चाहिए…...

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